127 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है
दोस्तों इस बार कोटा का फेमस DUSSEHRA मेला का आयोजन नही होगा कोरोना (CORONA) के बढते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है यह 127 साल के इतिहास में पहली बार होगा जब इसका आयोजन नही होगा .ओपचारिक रूप से सिर्फ रावण का पुतला जलाया जायेगा लेकिन इसमें भी भीड़ के इकट्ठा होने पर रोक लगाई जायेगी.|
कोटा का 101 फीट लम्बा रावण |
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सिर्फ 11 फीट के रावण का पुतला
दोस्तों कोटा का मेला रावण दहन के लिए फेमस है . यहा हर बार भव्य मेला का आयोजन होता है.पिछली बार कोटा में 101 फीट के रावन के पुतले का दहन किया गया था . जबकि इस बार सिर्फ 11 फीट रावण और 10-10 फीट कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले का दहन किया जायेगा|
कोटा DUSSEHRA मेले की शुरुवात
दोस्तों कोटा का विजय दशमी मेला महाराव दुर्जनसाल हाडा के समय 1723 AD की गयी थी . जब रावन की हाइट सिर्फ 20 से 25 फीट होती थी|
और इसको पारम्परिक तरीके से महाराव उम्मेद -2 के समय (1889-1940) में हुई थी|
OLD PICTURE महाराव उम्मेद जी के समय |
क्यों खास है कोटा का DUSSEHRA मेला
कोटा का DUSSEHRA (विजय दशमी) मेला राजस्थान की संस्कृति को प्रदर्शित करता है यह 22 दिन तक चलने वाला रंगा रंग कार्यक्रम है जिसमे राजस्थान की कला का रूप देखने को मिलता हैं .
इसमें विभिन्न प्रकार के नाट्ये प्रोग्राम होते है . मेले में कवि सम्मेलन होते है जिस में अलग अलग जगह से लोग राजस्थान की वीर योद्धा की कहानिया सुनते है और लोगो का मनोरंजन करते है .
मेला की शुरुवात रामलीला से होती है और रावण दहन से इसका आगाज़ होता है |
पशु मेला भी है फेमस
मेला के साथ साथ' इसमें पशु मेले का भी आयोजन होता है जिसमे देश भर के लोग विभिन्न नसल के पशु की खरीदारी करने के लिए आते है|
पशु मेले की शुरुवात भी 1892 से हुई थी|
करोडो का कारोबार प्रभावित
कोरोना के चलते हुए इस बार करोड़ो का कारोबार प्रभावित हुआ है 22 दिन तक चलने वाले इस मेले में लाखो लोग आते है जो इस आयोजन न होने से सब ठंडा पड़ गया है|
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